पहली बार में निवेश करना कठिन लग सकता है, खासकर तब जवाब इसकी शुरुआत कर रहे हों। सफल निवेश करने के लिए पोर्टफोलियो का विविधीकरण सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक है। विविधीकृत पोर्टफोलियो बनाने से जोखिम कम होता है और यह सुनिश्चित हो जाता है कि आपके द्वारा किया गया निवेश किसी एक कंपनी, स्टॉक या संपत्ति पर निर्भर नहीं है। इस मार्गदर्शन आर्टिकल में आप विविधीकृत पोर्टफोलियो के बारे में विस्तार से जानेंगे।
विविधीकृत पोर्टफोलियो क्या है?
पोर्टफोलियो का विविधीकरण करने के लिए अलग-अलग संपत्ति वर्गों, भौगोलिक क्षेत्र, उद्योग, इत्यादि में निवेश किया जाता है। इसमें आप अपना निवेश किसी एक संपत्ति या उद्योग में न लगाकर अलग-अलग उद्योग या संपत्ति में लगाते हैं, जिससे एक उद्योग या क्षेत्र या वर्ग के खराब प्रदर्शन के कारण नकारात्मक प्रभाव संतुलित होता है।
ऐसा करने से किसी एक संपत्ति के खराब प्रदर्शन के कारण पूरे पोर्टफोलियो पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है, जिससे निवेदक का जोखिम और रिटर्न का संतुलित बनता है।

एक उदाहरण से समझते हैं: यह कल्पना करें कि अपने ₹100000 किसी एक कंपनी के स्टॉक में निवेश किया है। निवेश के पश्चात यदि उसे कंपनी का प्रदर्शन खराब रहता है, तो यह आपके निवेश को सीधा प्रभावित करेगा। परंतु यदि आप इस पैसे को अलग-अलग कंपनी के स्टॉक, म्युचुअल फंड्स और बॉन्ड इत्यादि में निवेश करते हैं, तो किसी एक कंपनी या एक क्षेत्र में होने वाली गिरावट, दूसरे क्षेत्र या कंपनी में होने वाले लाभ से संतुलित हो सकती है।
पोर्टफोलियो का विविधीकरण क्यों महत्वपूर्ण है?
- जोखिम कम होता है: बाजार में होने वाले उतार चढ़ाव का असर अपने निवेश को अलग-अलग क्षेत्र, स्टॉक, म्युचुअल फंड या बॉन्ड्स इत्यादि में फैलाकर काम किया जा सकता है।
- लाभ के अवसर: अलग-अलग क्षेत्र और बाजारों में निवेश आपको उन विशेष क्षेत्र या बाजार में होने वाले लाभ को पाने की अनुमति देता है।
पोर्टफोलियो विविधीकरण करने के चरण
1. निवेश का लक्ष्य और जोखिम
- निवेश का लक्ष्य: निवेश की शुरुआत करने से पहले यह समझना जरूरी है कि आपके निवेश करने का लक्ष्य क्या है। उदाहरण के लिए आप कम समय के लिए इमरजेंसी फंड जुटाना चाहते हैं, रिटायरमेंट के लिए पैसा जमा करना चाहते हैं, निकट भविष्य या लंबे समय की अवधि पश्चात घर खरीदना चाहते हैं, इत्यादि।
- कितना जोखिम उठा सकते हैं: निवेश से पहले जोखिम उठाने में आप कितना सहज अनुभव करते हैं यह जानना आवश्यक है। सबसे पहले यह समझे कि आप सुरक्षित विकल्प कम जोखिम के साथ चुनना चाहते हैं जैसे बॉन्ड में निवेश या अधिक जोखिम वाले निवेश जैसे स्टॉकस में निवेश करना चाहते हैं।
2. सही संपत्ति वर्ग का चयन
यदि आप पोर्टफोलियो का विविधीकरण करना चाहते हैं, तो आपको विभिन्न संपत्ति वर्गों में निवेश करना होगा। नीचे कुछ सामान्य वर्ग दिए गए हैं जिनमें जोखिम स्टार और उनके उदाहरण आदर्श गए हैं।
संपत्ति वर्ग (Asset Class) | जोखिम स्तर (Risk Level) | उदाहरण (Examples) |
---|---|---|
स्टॉक्स (Stocks) | अधिक (High) | स्टॉक्स, ईटीएफ (ETFs) |
बॉन्ड्स (Bonds) | निम्न से मध्यम (Low to Medium) | सरकारी बॉन्ड्स, कॉर्पोरेट बॉन्ड्स |
रियल एस्टेट (Real Estate) | मध्यम (Medium) | REITs, किराये की संपत्तियाँ |
कमोडिटीज (Commodities) | मध्यम से उच्च (Medium to High) | सोना, चांदी, तेल एत्यादि |
कैश और इसके समकक्ष (Cash and Equivalents) | निम्न (Low) | सेविंग्स अकाउंट्स, मनी मार्केट फंड्स |
3. संपत्ति वर्ग में विविधता
संपत्ति वर्ग जैसे स्टॉकस, बॉन्ड्स और ज्योग्राफी में निवेश किए गए पैसों को फैलाएं और विविधता को बनाकर रखें।
- स्टॉकस: अलग-अलग उद्योग जैसे हेल्थ केयर, इंफ्रास्ट्रक्चर, एनर्जी, टेक्नोलॉजी, इत्यादि में अपने निवेश को फैलाएं।
- बॉन्ड्स: कम अवधि के बॉन्ड्स के साथ दीर्घकालिक बॉन्ड्स में निवेश करें।
- भूगोल (Geography): देश के बाज़ार के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी निवेश करने का विचार कर सकते हैं।
4. पोर्टफोलियो को समय-समय पर संतुलित बनाकर रखें
बाजार के उतार चढ़ाव के कारण आपके पोर्टफोलियो का संतुलन बदल सकता है। इसीलिए अपने पोर्टफोलियो को समय-समय पर संतुलित बना पोर्टफोलियो का विविधीकरण करना और उसे बनाए रखना आवश्यक है।
उदाहरण के लिए यदि आपके पोर्टफोलियो में स्टॉकस, बॉन्डस और म्युचुअल फंड इत्यादि है। परंतु बाजार में आई अचानक से तेजी के कारण आपके स्टॉक अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन स्टॉक को बेचकर आप उसे संपत्ति को म्युचुअल फंड या बॉन्डस आदि संपत्तियों में निवेश करें।
5. अपने लक्ष्य और उम्र के हिसाब से पोर्टफोलियो तैयार करें
संपत्ति आवंटन (Asset Allocation) आपकी उम्र और लक्ष्य के अनुसार होना चाहिए। यदि आप एक युवा हैं तो आप स्टॉक्स में ज्यादा निवेश कर सकते हैं। वहीं पर वरिष्ठ निवेशक को बॉन्ड्स जैसे विकल्प चुनने चाहिए।
उम्र (Age) | स्टॉक्स (Stocks) | बॉन्ड्स (Bonds) | अन्य संपत्तियाँ (Other Assets) |
20-35 | 80% | 15% | 5% |
36-50 | 60% | 30% | 10% |
51+ | 40% | 50% | 10% |
6. ईटीएफ़ और म्युचुअल फंड पर जरूर विचार करें
ईटीएफ़ मतलब एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) और म्युचुअल फंड शुरुआती निवेशकों के लिए एक अच्छा विकल्प है। इनके द्वारा आप विभिन्न संपत्तियां खरीद सकते हैं, और जब आप एक म्युचुअल फंड या ईटीएफ में निवेश करते हैं तो आपके निवेश का विविधीकरण तुरंत हो जाता है।
क्योंकि म्युचुअल फंड और ईटीएफ किसी एक क्षेत्र या अधिक क्षेत्र की कंपनियों में निवेश करते हैं, ऐसा होने से आपके द्वारा निवेश किया गया पैसा अलग-अलग कंपनियों में निवेश होता है। परंतु इसके लिए आपको यह जानना आवश्यक है कि आप किस प्रकार के म्युचुअल फंड या ईटीएफ में निवेश कर रहे हैं।
विशेषता | म्युचुअल फंड्स | ईटीएफ (ETFs) |
विशेषज्ञों द्वारा प्रबंधित (Managed by Experts) | हाँ (Yes) | कभी-कभी (Sometimes) |
स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड किया जाता है (Traded on Stock Exchange) | नहीं (No) | हाँ (Yes) |
लागत (Cost) | उच्च शुल्क (Higher fees) | कम शुल्क (Lower fees) |
भारत की दो महत्वपूर्ण Stock Exchange: NSE और BSE
अगर रिटायरमेंट के लिए ऐसे जोड़ना चाहते हैं तो EPF, PPF और NPS जैसे निवेशों के बारे में ज़रूर विचार करें। रिटायरमेंट प्लानिंग सम्बंधित लेख पढ़ें।
इन गलतियों से जरूर बचें
- अधिक विविधीकरण: ज्यादा पोर्टफोलियो विविधीकरण करने पर आपका रिटर्न काम हो सकता है।
- फीस की अनदेखी: हर म्युचुअल फंड और ईटीएफ का खर्च दर जरूर जाँचे, ऐसा नहीं करने पर आपको दूसरे विकल्प की तुलना में अधिक फीस देनी पड़ सकती है।
- भावनात्मक होना: बाजार में गिरावट के कारण आपको अपनी संपत्ति जिसमें अपने निवेश किया है वह नहीं बेचनी चाहिए। उसे समय पर घबराहट में बेचने से बचें।
- बिना सलाह के निवेश: निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार से जरूर मिलें, शुरुआती निवेशक ज्ञान के अभाव में बिना सलाह निवेश करने से नुकसान उठा सकते हैं।
पोर्टफोलियो का विविधीकरण करना एक बार का काम नहीं है, इसके लिए समय-समय पर आपको इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अपने द्वारा किए गए निवेश को बुद्धिमानी से अलग-अलग संपत्तियों में फैलाएं और उनका संतुलन बनाकर रखें। समय के साथ जो बाजार में उतार चढ़ाव आते हैं, उनके कारण पोर्टफोलियो का विविधीकरण असंतुलित होता है जिस समय पर पुनः संतुलन में लेकर आए। छोटे से शुरुआत करें और लगातार निवेश करते रहे, ऐसा करने से आप अपने रिटर्न को समय के साथ अधिक बढ़ा सकते हैं।
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