जब कोई भी निवेशक पहली बार निवेश करता है तो उसे थोड़ा मुश्किल लग सकता है, क्योंकि उसे यह डर होता है कि पोर्टफोलियो में जो भी निवेश में कर रहा हूं वह सही है या नहीं। लेकिन सही रणनीति और समझ से यह आसान हो जाता है। यदि आप एक सफल निवेदक बनना चाहते हैं तो पोर्टफोलियो का विविधीकरण यानी डायवर्सिफिकेशन बहुत जरूरी है। डायवर्सिफिकेशन यानी विविधीकरण से मतलब है कि आप अपना पैसा किसी एक स्टोर किया कंपनी में नया लगाकर उसे अलग-अलग जगह पर निवेश करें।
जब आप अपने पैसे को अलग-अलग सेक्टर और एसेट्स में निवेश करते हैं, तो आपका जोखिम कम हो जाता है क्योंकि किसी एक सेक्टर या ऐसेट के खराब परफॉर्मेंस के कारण आपका पैसा डूबता नहीं है और रिटर्न के मौके बढ़ जाते हैं।
पोर्टफोलियो का विविधीकरण क्या है?
पोर्टफोलियो का विविधीकरण से मतलब अपने पैसे को एक जगह न लगाकर अलग-अलग उद्योग और संपत्ति में निवेश करना है। जब आप अपने पैसे को किसी एक संपत्ति या उद्योग में लगाते है, तो भविष्य में उसे उद्योग के खराब प्रदर्शन के कारण आपका पैसा डूब सकता है। इसीलिए समझदार निवेशक अलग-अलग उद्योगों में जो अलग-अलग क्षेत्र या वर्ग से संबंधित होते हैं, अपने पैसे को निवेश करता है।

ऐसा करने से किसी एक क्षेत्र या उद्योग पर पढ़ने वाला बुरा प्रभाव या उसका खराब प्रदर्शन आपके पूरे पोर्टफोलियो को प्रभावित नहीं करता है। जिससे आप अपने पोर्टफोलियो में संतुलन बनाए रखते हैं और रिटर्न अधिक मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है।
पोर्टफोलियो का विविधीकरण क्यों महत्वपूर्ण है?
- जोखिम कम होता है: बाजार में होने वाले उतार चढ़ाव का असर अपने निवेश को अलग-अलग क्षेत्र, स्टॉक, म्युचुअल फंड या बॉन्ड्स इत्यादि में फैलाकर कम किया जा सकता है।
- लाभ के अवसर: अलग-अलग क्षेत्र और बाजारों में निवेश आपको उन विशेष क्षेत्र या बाजार में होने वाले लाभ को पा सकते हैं।
पोर्टफोलियो विविधीकरण करने के चरण
1. निवेश का लक्ष्य और जोखिम
जब आप निवेश की शुरुआत करते हैं तो आपको लक्ष्य के बारे में जरूर पता होना चाहिए। ऐसा इसलिए आवश्यक है क्योंकि यदि आप लक्ष्य निर्धारित नहीं करेंगे तो आपको यह नहीं पता होगा कि आपको कितना निवेश करना है और कितने समय के बाद आपको कितने पैसों की आवश्यकता है। हो सकता है कि आपको आने वाले एक या दो साल में इमरजेंसी फंड की आवश्यकता पड़े या फिर आप अपनी रिटायरमेंट के लिए पैसा जोड़ रहे हैं, जो भी हो लेकिन आपको अपने लक्ष्य के बारे में पता होना चाहिए।
जब बात निवेश की आती है तो उसके साथ जोखिम भी जुड़ा होता है, इसीलिए यह जरूर समझे कि आप कितना जोखिम उठा सकते हैं। आप अपने निवेश को किस तरह की कंपनी और किस तरह के क्षेत्र में लगाना चाहते हैं यह आपके जोखिम उठाने की क्षमता के ऊपर ही निर्भर करता है।
2. सही संपत्ति वर्ग का चयन
निवेश करने के लिए बहुत सारे वर्ग और संपत्ति मौजूद होती हैं। है लेकिन जब आप अपना लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता को जान लेते हैं तो अगले चरण में आपको उन्हीं के अनुरूप संपत्ति वर्ग का चयन करना होता है।
इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि यदि आप अधिक जोखिम उठाने वाले हैं और अपने निवेश को लंबे समय तक जारी रखना चाहते हैं तो आप स्टॉक मार्केट में निवेश कर सकते हैं। स्टॉक मार्केट में आपको अधिक रिटर्न मिलने की संभावना रहती है लेकिन जोखिम भी इसमें अधिक होता है।
हो सकता है कि आपका लक्ष्य आने वाले 10 साल के बाद घर खरीदने का हो और आप एक कम जोखिम वाला ऑप्शन चुनना चाहते हैं तो आप रियल एस्टेट और FD जैसे विकल्प की तरफ जा सकते हैं। हालांकि इनमें निवेश करने के लिए आपके पास शुरुआती पूंजी होना जरूरी है।
संपत्ति वर्ग | जोखिम स्तर | रिटर्न की संभावना | तरलता | उदाहरण | कब निवेश करें? |
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शेयर बाजार | उच्च | उच्च | उच्च | स्टॉक्स, इंडेक्स फंड्स, ईटीएफ | जब आप लंबी अवधि में उच्च रिटर्न चाहते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव को सहन कर सकते हैं। |
म्यूचुअल फंड्स | निम्न से उच्च (फंड के प्रकार पर निर्भर) | मध्यम से उच्च | मध्यम से उच्च | इक्विटी फंड्स, डेट फंड्स, हाइब्रिड फंड्स | जब आप प्रोफेशनल प्रबंधन के साथ विविधीकृत निवेश चाहते हैं। |
बॉन्ड्स | निम्न से मध्यम | मध्यम | मध्यम | सरकारी बॉन्ड्स, कॉर्पोरेट बॉन्ड्स, डेट फंड्स | जब आप सुरक्षित और स्थिर रिटर्न चाहते हैं। |
रियल एस्टेट | मध्यम | मध्यम से उच्च | निम्न | आरईआईटी, किराये की संपत्तियाँ, वाणिज्यिक संपत्तियाँ | जब आप दीर्घकालिक संपत्ति निर्माण चाहते हैं और तत्काल नकदी की आवश्यकता नहीं है। |
कमोडिटीज | मध्यम से उच्च | मध्यम से उच्च | मध्यम | सोना, चांदी, तेल, कृषि उत्पाद | जब आप मुद्रास्फीति से सुरक्षा चाहते हैं और विविधता जोड़ना चाहते हैं। |
नकदी व लिक्विड विकल्प | निम्न | निम्न | बहुत उच्च | बचत खाता, मनी मार्केट फंड्स, लिक्विड फंड्स | जब आपको तत्काल जरूरत के लिए सुरक्षित और सुलभ पैसा चाहिए। |
फिक्स्ड डिपॉजिट | निम्न | निम्न से मध्यम | मध्यम | बैंक एफडी, पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट | जब आप पूंजी को सुरक्षित रखना चाहते हैं और निश्चित ब्याज दर पर रिटर्न चाहते हैं। |
पीपीएफ/ईपीएफ/एनपीएस | निम्न | मध्यम से उच्च | बहुत निम्न | पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ), राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) | जब आप सेवानिवृत्ति और कर बचत के लिए लंबी अवधि में निवेश करना चाहते हैं। |
4. पोर्टफोलियो को समय-समय पर संतुलित बनाकर रखें
बाजार के उतार चढ़ाव के कारण आपके पोर्टफोलियो का संतुलन बदल सकता है। इसीलिए अपने पोर्टफोलियो को समय-समय पर संतुलित बना पोर्टफोलियो का विविधीकरण करना और उसे बनाए रखना आवश्यक है।
उदाहरण के लिए यदि आपके पोर्टफोलियो में स्टॉकस, बॉन्डस और म्युचुअल फंड इत्यादि है। परंतु बाजार में आई अचानक से तेजी के कारण आपके स्टॉक अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन स्टॉक को बेचकर आप उसे संपत्ति को म्युचुअल फंड या बॉन्डस आदि संपत्तियों में निवेश करें।
5. अपने लक्ष्य और उम्र के हिसाब से पोर्टफोलियो तैयार करें
संपत्ति आवंटन आपकी उम्र और लक्ष्य के अनुसार होना चाहिए। यदि आप एक युवा हैं तो आप स्टॉक्स में ज्यादा निवेश कर सकते हैं। वहीं पर वरिष्ठ निवेशक को बॉन्ड्स जैसे विकल्प चुनने चाहिए।
अपने लक्ष्य और उम्र के हिसाब से पोर्टफोलियो तैयार करें
उम्र | जोखिम लेने की क्षमता | लक्ष्य | सुझावित पोर्टफोलियो मिश्रण |
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18-30 वर्ष | उच्च | लंबी अवधि में धन संचय, घर या गाड़ी खरीदना, करियर ग्रोथ | 70% स्टॉक्स / इक्विटी म्यूचुअल फंड्स, 10% डेट फंड्स / बॉन्ड्स, 10% गोल्ड / कमोडिटीज, 10% कैश / एफडी |
30-40 वर्ष | मध्यम से उच्च | बच्चों की शिक्षा, घर खरीदना, कर बचत | 50% स्टॉक्स / इक्विटी फंड्स, 20% डेट फंड्स / बॉन्ड्स, 15% रियल एस्टेट / गोल्ड, 15% एफडी / पीपीएफ |
40-50 वर्ष | मध्यम | बच्चों की उच्च शिक्षा, रिटायरमेंट प्लानिंग | 35% इक्विटी फंड्स, 30% बॉन्ड्स / डेट फंड्स, 20% रियल एस्टेट / गोल्ड, 15% पीपीएफ / एफडी |
50-60 वर्ष | निम्न से मध्यम | रिटायरमेंट की तैयारी, मेडिकल आपातकालीन फंड | 20% इक्विटी फंड्स, 40% बॉन्ड्स / डेट फंड्स, 20% एफडी / पीपीएफ / एनपीएस, 20% कैश / मनी मार्केट फंड्स |
60 वर्ष से अधिक | निम्न | रिटायरमेंट खर्च, मेडिकल आवश्यकताएं | 10% इक्विटी फंड्स, 30% बॉन्ड्स, 30% एफडी / पीपीएफ, 30% कैश / मनी मार्केट फंड्स |
6. ईटीएफ़ और म्युचुअल फंड पर जरूर विचार करें
ईटीएफ़ मतलब एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) और म्युचुअल फंड शुरुआती निवेशकों के लिए एक अच्छा विकल्प है। इनके द्वारा आप विभिन्न संपत्तियां खरीद सकते हैं, और जब आप एक म्युचुअल फंड या ईटीएफ में निवेश करते हैं तो आपके निवेश का विविधीकरण तुरंत हो जाता है।
क्योंकि म्युचुअल फंड और ईटीएफ किसी एक क्षेत्र या अधिक क्षेत्र की कंपनियों में निवेश करते हैं, ऐसा होने से आपके द्वारा निवेश किया गया पैसा अलग-अलग कंपनियों में निवेश होता है। परंतु इसके लिए आपको यह जानना आवश्यक है कि आप किस प्रकार के म्युचुअल फंड या ईटीएफ में निवेश कर रहे हैं।
विशेषता | म्युचुअल फंड्स | ईटीएफ |
विशेषज्ञों द्वारा प्रबंधित | हाँ | कभी-कभी |
स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड किया जाता है | नहीं | हाँ |
लागत | उच्च शुल्क | कम शुल्क |
भारत की दो महत्वपूर्ण Stock Exchange: NSE और BSE
अगर रिटायरमेंट के लिए ऐसे जोड़ना चाहते हैं तो EPF, PPF और NPS जैसे निवेशों के बारे में ज़रूर विचार करें। रिटायरमेंट प्लानिंग सम्बंधित लेख पढ़ें।
इन गलतियों से जरूर बचें
- अधिक विविधीकरण: ज्यादा पोर्टफोलियो विविधीकरण करने पर आपका रिटर्न काम हो सकता है।
- फीस की अनदेखी: हर म्युचुअल फंड और ईटीएफ का खर्च दर जरूर जाँचे, ऐसा नहीं करने पर आपको दूसरे विकल्प की तुलना में अधिक फीस देनी पड़ सकती है।
- भावनात्मक होना: बाजार में गिरावट के कारण आपको अपनी संपत्ति जिसमें अपने निवेश किया है वह नहीं बेचनी चाहिए। उसे समय पर घबराहट में बेचने से बचें।
- बिना सलाह के निवेश: निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार से जरूर मिलें, शुरुआती निवेशक ज्ञान के अभाव में बिना सलाह निवेश करने से नुकसान उठा सकते हैं।
पोर्टफोलियो का विविधीकरण करना एक बार का काम नहीं है, इसके लिए समय-समय पर आपको इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अपने द्वारा किए गए निवेश को बुद्धिमानी से अलग-अलग संपत्तियों में फैलाएं और उनका संतुलन बनाकर रखें। समय के साथ जो बाजार में उतार चढ़ाव आते हैं, उनके कारण पोर्टफोलियो का विविधीकरण असंतुलित होता है जिस समय पर पुनः संतुलन में लेकर आए। छोटे से शुरुआत करें और लगातार निवेश करते रहे, ऐसा करने से आप अपने रिटर्न को समय के साथ अधिक बढ़ा सकते हैं।
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